Thursday, 5 December 2013

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आम नागरिक और फेक चुनावी खबरें 

देश में चुनाव के दौरान मीडिया में पेड न्यूज़ (fake news) का आना एक आम बात होती है। इस पर सरकार कितना भी लगाम लगा ले लेकिन यह उतनी ही बढ़ती हुई नजर आती है। लेकिन क्या यह मीडिया आम जनता को अब ज्यादा दिनों तक ठग सकता है, शायद इसका उत्तर हो सकता है नहीं। क्योंकि आम आदमी के पास मीडिया का एक ऐसा वैश्विक माध्यम आ चुका है जिसके बदौलत वह सिर्फ खुद ही खबर नहीं पढ़ता है बल्कि स्वयं के अतिरिक्त औरों को भी खबर पढ़ने को देता है और तो और आज की प्रमुख धारा की मीडिया भी उससे खबर लेता है। बस जरूरत है सिर्फ आम आदमी को जागरूक और तकनीकी रूप से शिक्षित होने की। वैसे भी देखा जाए तो कंप्यूटर न सही लेकिन मोबाइल पर ही इंटरनेट के द्वारा यूजर्स की संख्या में दिन प्रति दिन वृद्धि हो रही है जिसका असर आज देश के विभिन्न पाँच राज्यों में हुए चुनाव में मतदान की प्रतिशत संख्या में वृद्धि आम जनता के सोच, विचार और उसके हक व दस्तूर के चाहत का ही सूचक लगता है। सोशल मीडिया जब धीरे-धीरे नागरिक पत्रकारिता का रूप पकड़ लेगी तो मीडिया की हालत में पलीता लग सकता है। वैसे तो आज मीडिया के पास ख़बरों को पाने के बहुत संसाधन व तकनीक है बावजूद उसके पास देश-प्रदेश और जिले के हर नुक्कड़ के खबर को कवर कर सके इसके लिए उसे अब एक मात्र रास्ता बचता है वह है सोशल मीडिया जिसका वह खबर के रूप में उपयोग भी कर रहा है। आप ने देखा ही होगा सोशल मीडिया ने कुछ ऐसे बड़े-बड़े कारनामें कर दिखाए है जो कभी स्वतंत्रता आंदोलन के समय में देश की प्रिन्ट पत्रकारिता किया करती थी। आज थोड़ी स्थिति बदल चुकी है, लगभग हर कोई भौतिकवाद का पोषक बन गया है यदि नहीं भी बना है तो उसके फालोवर ही इसके पोषक बने हुए है ऐसे वह खुद गाहे-बगाहें उसी की दुहाई करते हुए फिरता है। यह भी सत्य है कि आज कोई इससे कितना भी बचना चाहे बच नहीं सकता है लेकिन फिर भी हमें इसी में से एक रास्ता निकालना होगा जो लोकतंत्र और मीडिया दोनों के लिए सुखद और सार्थक समाज व देश का नवनिर्माण करेगी।
आज कल जिस तरह से फेसबुक और दूसरी नेटवर्किंग साइट्स को लेकर हमारा युवा वर्ग इस कदर दीवाना और मस्ताया हुआ है कि आज एक तथाकथित पढ़े-लिखे वर्ग ने तो इसे एक तरह का जन-माध्यम ही मान लिया है। तो ऐसे हाल में मैं उन श्रीमानों से जानना चाहूँगा कि क्या वास्तव मे वे हमारे फेसबुक यूजर्स का मानसिक ओर बौद्धिक स्तर, सोचने-समझने ओर परिवेश के अवलोकन की क्षमता, फ़ेस बुक पर लिखे ओर अपलोड किए जाने वाले कन्टेन्ट की वस्तुनिष्ठता ओर सत्यता, जो की किसी भी मीडिया के होने का आधार होता है, को इस स्तर का पाते है कि इसे सोशल नेटवर्किंग साइट की जगह हम इसे सोशल मीडिया साइट का ही दर्जा दे दें या इसे हम उनके द्वारा पत्रकारिता के पहले पायदान की पाठशाला समझे।

संत समागम और मैत्री का संदेश


संत विनोबा की पुण्य तिथि पर आयोजित मित्र-मिलन समारोह कार्यक्रम महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पवनार आश्रम की तपोभूमि पर सम्पन्न हुआ। देश के विभिन्न राज्यों असम, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और गुजरात आदि प्रदेशों से लगभग 500 लोगों ने 15 से 17 नवम्बर तीन दिवसीय कार्यक्रम में अध्यात्म अनुष्ठान और मित्र-मिलन समारोह में शामिल हुए। एक बात का जिक्र कर देना जरूरी है कि इस कार्यक्रम में हर साल बिन बुलाए लगभग तीन सौ से पाँच सौ की संख्या में संत समागम होता है जिसमें 90 साल से लेकर 15 साल तक के भक्त सम्मिलित होते है। इस साल के कार्यक्रम में युवा वर्ग का आना एक शुभ संदेश का परिचायक है। बिहार से आए ज्वाला चौधरी (30 वर्ष) और गुजरात से आए मुस्तू खान के समाज सेवा और मैत्री भाव का संदेश सुनकर सभी ने उनके कार्यों का तारीफ किया। इस तीन दिवसीय कार्यकाम को वक्तव्य सत्र, सूत कताई सत्र और समाहार सत्र जैसे तीन मुख्य सत्रों में प्रो. राम जी सिंह, गौतम भाई, देवा जी तोहफा, मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश श्री चंद्रशेखर धर्माधिकारी, डॉ. एन. सुब्बाराव, रमेश भाई, आदि लोगों ने अपने-अपने वक्तव्यों से अभिसिंचित किया। कार्यक्रम के पहले दिन का शुभारंभ जय जय राम, जय जय राम,  कृष्ण हरी भक्ति गीत से शुरू हुआ। वक्तव्य सत्र में राम जी बाबू पूरी दुनिया में आए विभिन्न आपदाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ये आपदाएँ प्राकृतिक नहीं है बल्कि मानव जनित है। आज का मानव समाज धन-सम्पति का लोलुप हो गया है। हमारी आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रकृति के पास बहुत सम्पदा है लेकिन हमारी लालच/वासना के लिए उसके पास कुछ भी नहीं है। गढ़चिरौली से पधारे देवा जी तोहफा ग्राम स्वराज्य के आधार पर विनोबा भावे के ग्राम दान योजना का एक नजीर अपने गाँव को बताते हुए कहा कि आज हमारे गाँव में सामुदायिक खेती, सामुदायिक शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थय और यहाँ तक कि शादी-विवाह जैसे प्रमुख कार्यक्रम भी सामूहिक सहमति और सहयोग के आधार पर संचालित होता है।
अपने बचपन में ही विनोबा जी के साथ चल पड़े आश्रम के संचालक गौतम भाई जी ने कहा कि आज लोग गांधीजी के विचारों की प्रासंगिकता के बारे में बहुत सारे कार्यक्रम करते हैं। जबकि आज दुनिया में इसके सिवा और कोई विचार प्रासंगिक है ही नहीं। आज गांधीजी के मूल विचारों को समझने की जरूरत है। विनोबा जी के कार्यों को समझकर शाश्वत गांधीजी को समझ सकते हैं। मलाला का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मलाला जब यूएनओ में अपना भाषण दे रही थी तो उसने कहा कि हमें गांधीजी से प्रेरणा मिली है। उषा दीदी संत विनोबा भावे जी के चिंतन स्वभाव के बारे बताते हुए कहीं कि विनोबा जी कहते थे कि सत्य की व्याख्या नहीं की जा सकती है लेकिन फिर भी जो तीनों काल में शाश्वत हो वह सत्य होता है। सत्य शाश्वत होता है। सत्य ही परमेश्वर है, परमेश्वर ही सत्य है। इसे सिर्फ वाणी का सत्य होना ही सत्य नहीं होगा बल्कि मनसा वाचा कर्मणा अर्थात मन, विचार और कर्म तीनों से सत्य होगा तब सत्य माना जाएगा। सत्य तो काम धेनु है। दीदी उषा ने गांधी जी को ‘पारसमणी’ बतायी। सत्य के प्रयोग में गांधी जी की निष्ठा प्रयोग में वैज्ञानिकता और नम्रता  भरा हुआ है। वर्धा के पवनार में आज ब्रह्म विद्या मंदिर को सथापित हुए 54 साल हो गए लेकिन इस मंदिर में प्रार्थना का साममय आज तक कभी नहीं बदला है, यह अनवरत चल रहा है। महिलाओं को उल्लेख करते हुए संत विनोबा जी के द्वारा उल्लेखित विचार के बारे बताया कि स्त्रियाँ बोलने वाली बने और सिंह की तरह गर्जना करें लेकिन वह गर्जना डराने वाली न हों। गुजरात की नलिनी बहन कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहीं कि विनोबा जी के शाश्वत विचारों को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए जो नए-नए युवा साथी इस मित्र-मिलन कार्यक्रम में आए है, जिनका सर्वोदय से कभी कोई संबंध नहीं रहा है, ऐसे लोग जब इस कार्यक्रम में आते है तो बड़ी खुशी होती है। मंत्रोच्चार का पाठ कंचन दीदी, उषा दीदी, नलिनी दीदी और अन्य बहनों ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे दिन के पहले सत्र में मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायधीश श्री चंद्रशेखर धर्माधिकारी, गोवंश हत्या के लिए एक कानून बनाने पर सहमति जताई। महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस पर एक कमेटी बनायी गयी है जिसका मैं सदस्य हूँ और इस पर काम चल रहा है। उन्होनें ने कहा कि आज हम एक-दूसरे के साथ नहीं रहते हैं बल्कि पड़ोस में रहते है। जब तक हमारे घर या हमारे साथ कोई अनहोनी नहीं होती है तब तक हमें कुछ समझ में नहीं आता है। “सच बोलना सीखाना नहीं पड़ता है यह स्वाभाविक होता है जबकि झूठ सीखाना पड़ता है”। आज विश्व कुटुम्ब की बात करने वाले हम सभी खुद परिवार/कुटुम्ब से उजड़ चुके हैं। आज कृत्रिम जरूरत, कृत्रिम दिमाग और टूटते परिवार ये सब चिंता के विषय है। गांधीजी और विनोबा जी के जीवन में संघर्ष और रचना दोनों साथ चलती थी। दूसरे वक्ता के रूप में डॉ. एन. सुब्बाराव ने कहाकि आज अमेरिकी लोग गांधीजी के शिविर का आयोजन करते हैं और शाश्वत जीवन के गुणों को जानने का प्रयास करते हैं। विनोबा जी का कहना था कि मनुष्य को मनुष्य से जोड़ो इससे बड़ा कोई न तो धर्म है और न तो कोई अध्यात्म है। विनोबा जी द्वारा दिए गए नारे “जय जगत” को बुलंद करने की जरूरत है।
मित्र-मिलन कार्यक्रम के पहले दिन ही सभी संत, युवा लोगों का विभिन्न दस समूह बनाया गया था और  समारोह के तीसरे दिन प्रत्येक समूह के सभी सदस्यों ने अपना परिचय और मैत्री प्रचार संदेश की प्रस्तुति के ढंग एवं माध्यम को विस्तार से बताया। कार्यक्रम के तीसरे दिन तीसरी समूह ने अपना सामूहिक परिचय स्क्रिप्ट लेखन शम्भू शरण गुप्त “मैत्री संदेश” - विनोभा भावे आश्रम, पवनार नामक एक नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से किया जिसे लोगों ने खूब सराहा। इस नाट्य प्रस्तुति में संचार तकनीक के महत्व को बताया गया। नाटक के माध्यम से संचार को तकनीक के सहारे अपना संदेश को व्यापक पैमाने संप्रेषित करना संभव बताया गया। इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक गाँव के रूप में तब्दील कर दिया है। आज हमें भी इसका उपयोग कर लाभ उठाने के लिए आगे आना चाहिए। समूह चार ने गांधी जी के एकादश व्रत को पोस्टर के माध्यम से और समूह दो ने कविता के द्वारा मैत्री संदेश का पैगाम और अपना समूह का परिचय दिया।

                                                                                                                                  शम्भू शरण गुप्त
शोधार्थी, पीएच. डी. (जनसंचार)
    संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
                                                                                                                 वर्धा, (महाराष्ट्र).
                                                                                                                    मो. 09921036740
ई-मेल: naharguptass@gmail.com