Friday, 20 September 2013

सोशल मीडिया संपर्क का अनूठा मंच

जनसंपर्क एक मानवीय विज्ञान है और सूचना उसका मूल तत्व है। आदि काल से ही संदेशों का संप्रेषण मानव द्वारा किया जाता रहा है। जो विभिन्न स्वरूपों में होते हुए जनसंपर्क विधा के रूप में यहां तक पहुंचा है। इंटरनेट ने आज जनसंपर्क के “जन” को इतना व्यापक कर दिया है कि दूर अंचलों में बैठे लोगों को भी सभी सूचनाएं आसानी से मिल जाती हैं। जनसंपर्क में सबसे महत्वपूर्ण तत्व संपर्क या संबंध है। इन संपर्कों व संबंधों को बनाए रखने एवं इसके विस्तार में न्यू मीडिया अहम भूमिका निभा रहा है। न्यू मीडिया के अभाव में जनसंपर्क का कार्य तेजी के साथ शायद संभव नहीं हो सकता है। जैसाकि सूचना को शक्ति माना गया है और जनसंपर्क अपने सामाजिक व व्यवसायिक भूमिका में संचार/सूचनाओं के प्रबंधन का ही व्यापार कर रहा है।जनसंपर्क और मीडिया दोनों का गहरा संबंध है। सूचना के बिना मीडिया अधूरा है। दोनों ही बड़े स्तर पर कार्य करने वाली गतिविधियाँ है। कंपनी अपने प्रॉडक्ट की सूचना देने, गुणवत्ता और श्रेष्ठता को बतलाने, उपभोक्ताओं को उत्प्रेरित करने व उनकी प्रतिक्रिया जानने, बाजार विस्तार करने, व्यवसाय बढ़ाने, प्रतिस्पर्धा में बने रहने, कंपनी के कार्यप्रणाली को स्पष्ट करने, नियम-कानूनों व उनमें होने वाले परिवर्तनों की सूचना देने जैसे आदि बहुत उद्देश्य हैं जो कंपनियों के जनसंपर्क की आधारभूमि हैं। आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बहुत सारी कंपनियां इंटरनेट से अपने कर्मचारियों और सदस्यों के बीच सामाजिक संबंध स्थापित कर रहे है। व्यवसायिकों और विशेषज्ञों के अपने-अपने क्षेत्रों के आपसी नेटवर्क बने हुए है। “लिंक्ड इन” जैसी वेबसाइट पर लोगों के बीच व्यवसायिक सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है। ‘फेसबुक’, ‘ट्विटर’, और ‘ब्लॉग’ आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के सहारे लोग अपनी प्रोफेशनल सामाजिक मीडिया छवि निर्मित करने में लगे हुए है।  
जनसंपर्क उपकरण के रूप में सोशल मीडिया के बारे में ह्यूमन रिसोर्सेज़ एंड वर्कप्लेस सोल्यूशन्स कंपनी रीगस के सर्वे रिपोर्ट बताता है कि भारत की 83% फर्म्स इस बात के लिए राजी हैं कि बिना सोशल मीडिया एक्टिविटी के मार्केटिंग स्ट्रैटजी सफल नहीं हो सकती, वैश्विक रूप से यह आंकड़ा 74% है। माइंडशिफ्ट इंटरएक्टिव के सीईओ जफर रईस कहते है कि भारत के प्रमुख 50 ब्रांडों में से 32 से ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग सक्रिय रूप से कर रहे हैं। एसोचैम के जनरल सैक्रेटरी डी. एस. रावत ने कहा है कि 23 हज़ार करोड़ मूल्य का माल व सेवाओं का व्यापार दुनिया भर में सोशल मीडिया के द्वारा हो रहा है। 2015 तक यह आंकड़ा 1.35 लाख करोड़ हो जाएगा जिसमें भारत का हिस्सा 10 हज़ार करोड़ रूपये को पार कर जाएगा। श्वेता शुक्ला (प्रमुख आंतरिक संबंध, प्राक्टर एंड गैम्बल, भारत) कहती हैं कि उपभोक्ताओं को जानकारी देना, साझा करना और उन्हें प्रभावित करना हमारे डी. एन. ए. का अभिन्न अंग है। इस प्रकार सोशल मीडिया एक जनसंपर्क उपकरण के रूप में, हमें लाभ उठाने के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म और अवसर देता है। सोशल मीडिया संपर्क बनाने का एक अनूठा मंच मुहैया कराता है जो स्थानीयत के साथ-साथ अंतरस्थानीयता (ग्लोकल) भी है जो हर किसी या जो चाहे वो व्यक्ति, समाज, कंपनी, या कोई देश हो इसका लाभ लेते हुए इसका उपयोग कर रहा और इससे समाज भी कई रूपों में प्रभावित हो रहा है।