Saturday, 2 August 2014

मैं मोबाइल फोन बोल रहा हूँ।

मैं मोबाइल फोन बोल रहा हूँ। 

मैं मोबाइल फोन बोल रहा हूँ। आज मैं खुश हूँ, बहुत खुश हूँ। जहाँ तक मेरी नजर जा रही है, मैं अपने परिवार को फलता-फूलता देखता हूँ। गाँव हो या शहर, गरीब हो या अमीर, बच्चा हो या बूढ़ा, महिला हो या पुरुष, स्वस्थ्य हो या अस्वस्थ, सभी को जरूरत है मेरी। और सभी चाहते हैं मुझे। मैं मोबाइल फोन मात्र शौक नहीं बल्कि सबकी जरूरत बन गई हूँ। सामंतवाद के युग में जन्म लेकर भी मैं आज जनवादी हूँ। मैं आपका चहेता मोबाइल हर वक्त आपके साथ सफर करता रहता हूँ। आपके संचार और मनोरंजन का हमसफर मैं मोबाइल फोन एक पल भी आपके बगैर नहीं जी सकता  हूँ। मुझे गर्व हैं उनपर जो हमें इस्तेमाल करने के लिए दिन-रात अपने साथ लिए रहते हैं, शायद मुझसे कीमती चीज और कोई दुनिया में न हों। मैं बहुत गौरवशाली हूँ कि मुझे इस्तेमाल करने वाले सभी संवर्ग के हैं। मैं हर वक्त अपने यूजर्स के हाथों चिपकी रहना चाहता हूँ लेकिन सर्विस प्रोवाइडर और कमजोर सिग्नल होने के कारण मैं खीझ भी जाता हूँ। लोकतंत्र को मजबूत करने में भी मैं बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा हूँ। पर मेरे रूप बहुतेरे है। बहुतेरे रूप में आने से मैं कई देशों में लोकतंत्र की डंका बजा चुका हूँ। तानाशाही और हुक्मपसन्दी लोगों की बाजा बाजवा देता हूँ। उदारवादी और तकनीकी विकास ने निरंतर मेरे परिवार को विकसित करने में मदद किया हैं। अंतरव्यक्ति संचार, समूह संचार से लेकर टेलीविजन के द्वारा लाइव पत्रकारिता भी करता हूँ। आज दुनिया में सूचना क्रांति और मीडिया क्रांति एक साथ सफर कर रहा हैं। टेलीग्राफ के रूप में जन्म लेकर टेलीफोन के रास्ते सफर करते हुए मोबाइल फोन (1G, 2G, 3G और अब 4G) और वीडियो टेली कान्फ्रेंसिंग कर रहा हूँ। मैं पूरी दुनिया के देशों और लोगों को एक-दूसरे से बहुत जल्द जोड़ता हूँ। चिली से चीन और जिबूती से जापान तक को अपने अंदर रखने का साहस रखते हुए आपकी मुट्ठी में समाई रहती हूँ। दिन-प्रतिदिन नए-नए रूप में जन्म लेता हूँ। साधारण से लेकर मल्टीमीडिया सेट तक। पर मैं हूँ बहुत खुशनसीब। लेकिन जब कोई मेरा इस्तेमाल गलत करता है तो मैं बहुत बदनाम भी हो जाता हूँ। कई-कई दिनों तक मेरे नन्हें-मुन्हे साथी मुझसे बीझड़ भी जाते हैं। आपको मैं बता दूँ कि आपके देश भारत में वर्ष 2013 में मेरे परिवार में नए 21 करोड़ मोबाइल फोन आए थे जिसमें से 3.5 करोड़ स्मार्टफोन थे। और अगले पाँच सालों में मेरे परिवार की तस्वीर बहुत बदल सकता है। एक सर्वे एजेंसी कहती हैं कि करीब 30 करोड़ स्मार्टफोन भारत में हो सकते हैं।