Sunday, 1 November 2015

"भारतीय सिनेमा में आर्थिक समाजवाद"

सिनेमा समाज का दर्पण है! सच है कि सिनेमा के निर्माण में समाज से जुड़े अनेक घटनाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, साथ ही साथ समाज की घटनाओं को आधार बनाकर सिनेमा मनोरंजन और सूचना के लिए सिनेमा बनाया और दिखाया भी जाता है। ऐसे सिनेमा निर्माता, निर्देशक और अभिनेता और अन्य जुड़े लोग क्या, कभी उस समाज के बारे में भी कुछ सोचते हैं या नहीं, यदि सोचते है तो किस रूप? या सिर्फ सिनेमा के विषय-वस्तु तक ही रह जाते हैं या समाज उसी हाल में पीछे ही छुट जाता है, या उस विषय विशेष के आधार पर सिनेमा निर्माता, अभिनेता, अभिनेत्री जीवंत किरदार के साथ अनेक पुरस्कार, मेडल प्राप्त कर लेते हैं। वह समाज और उस समाज के लोग अपने आप को कहाँ पाते हैं? उस समाज के लोग, वह गांव, शहर, किसान, दुकान, खेत-खलिहान अपने आपको कहाँ खड़ा पाते हैं? आदि के बारे कुछ पड़ताल किया गया है इस शोध आलेख में......


3 comments:

  1. Replies
    1. I am very happy by your comments. so thanks friend Saket ji

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